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Why BJP loose in Himachal but tremendous win in Gujarat

      जैसा कि आप सभी जानते ही है कि BJP ने गुजरात में प्रचंड जीत हासिल की और हिमाचल में हार का सामना करना पड़ा। आखिर ऐसी क्या बात हुई कि एक ही समय में दोनों राज्यों में चुनाव Declare हुए और एक ही समय में परिणाम आया । फिर भी ऐसा क्यूं हुआ होगा । अगर OPS एक मुद्दा था तो हिमाचल में हार और  गुजरात में जीत क्यूं दर्ज की । 
      आज में आपको बताता हूं कि ऐसा क्यों हुआ । हिमाचल में BJP क्यूं हारी , इसके पीछे का एक ही कारण है , और वो है हिमाचल में सरकारी कर्मचारियों की संख्या ज्यादा होना । ज्यादा सरकारी कर्मचारियों का होना,  मतलब उन पर ज्यादा निर्भर लोग। OPS  के ना होने के कारण बहुत से सरकारी कर्मचारी महज कुछ सौ, या कुछ  हजार रूपए ही पेंशन के तहत पा रहे थे । NPS के तहत मिलने वाली इतनी कम पेंशन के कारण सरकारी कर्मचारियों में असंतोष फैल गया और यहीं असंतोष उन्हें ले डूबा । 
       जबकि गुजरात में सरकारी कर्मचारियों की संख्या कम है , इसीलिए वहां पर इतना असर नहीं दिखा । गुजरात में बहुत ही ज्यादा बिजनेसमैन है । 

Budget 2023 l Short bite

0 - 3 Lakh.  ------------------ No Tax 
3 - 6 Lakh   ------------------ 5 %
6 - 9 Lakh   ------------------ 10 %
9 - 12Lakh  ------------------ 15 %
12 - 15 Lakh ----------------20 %
Above 15 lakh ------------ 30 %

P.V. Sindhu --- ओलिंपिक -2020 में कांस्य पदक जीत कर इतिहास रच दिया

P.V. Sindhu --- ओलिंपिक -2020 में कांस्य पदक जीत कर इतिहास रच दिया ---- Read More

P.V. Sindhu --- ओलिंपिक -2020 में कांस्य पदक जीत कर इतिहास रच दिया

पी.वीं. सिंधु ने टोक्यो ओलिंपिक में कांस्य पदक जीत कर भारतीयों का सीना चौड़ा कर दिया । सिंधु ने लगातार दूसरा पदक जीता है । सिंधु की इस जीत को स्वर्णिम अक्षरों में लिखा जाएगा । भविष्य में सिंधु का नाम महानतम खिलाडियों में लिया जाएगा । हमारे युवाओं के लिए प्रेरणा स्त्रोत । 

Olympic --India -- 130 Crore Population -- पदक 13 भी नहीं -- आखिर क्यों ????

हर चार वर्ष बाद ओलिंपिक खेले आती है और हर भारतीय के सीने में टीस भर जाती है कि आखिर 130 करोड़ की जनसंख्या होते हुए भी हम 13 पदक भी नहीं जीत पाए ----- Read more

Danish Siddiqui --एक अधूरी यात्रा

आज दानिश सिद्दीक़ी को कौन नहीं जानता । पूरे भारत में इस पुलित्जर पुरस्कार विजेता पत्रकार को किसी परिचय की जरूरत नहीं है । वह रॉयटर्स में फोटो जर्नलिस्ट थे । मात्र 38 वर्ष की आयु में इतना कुछ करके दुनिया से चले जाना हर को झकजोर रहा है । अफगानिस्तान के स्पिन बोल्डक इलाके में तालिबान के द्वारा की गई कायरता पूर्वक कार्यवाही में इस होनहार पत्रकार की जान चली गई। 

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